“दोनों हाथ में लड्डू और सर कढ़ाही में”, “छप्पर फाड़कर” से मिलता जुलता यह मुहावरा, मिठाई बेचने वाले, इनसे जुड़े कारीगरों पर कारोबार के लिहाज से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन चरितार्थ होने जा रहा है। बर्डपुर की राम कटोरी इसका सबूत है। बात 1990 की है। तब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था। संतों, धर्माचार्यों और विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कारसेवा का ऐलान किया था।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के बर्डपुर कस्बे के विनोद मोदनवाल कारसेवा के लिए अयोध्या जाते समय 2 नवंबर 1990 गिरफ्तार हो गए। उनको बस्ती जेल में रखा गया। 28 दिन बाद वहां से छूटे तो घर पर कटोरी के आकार की एक मिठाई तैयार की। इसका नाम रखा “रामकटोरी”। तब उन्होंने इसे बतौर प्रसाद लोगों में बांटा। नाम और स्वाद के कारण यह मिठाई हिट हो गई । खासकर बस्ती और गोरखपुर मंडल में। चूंकि इन दोनों मंडलों के बहुत से लोग रोजी रोजगार के चलते देश के महानगरों और विदेशों में रहते हैं, लिहाजा इनके जरिए यह बाकी जगहों पर भी पहुंतती है।
सिर्फ मिठाई ही नहीं इसके पैकेट्स के लिए भी भगवान श्रीराम और राम मंदिर बने अलग अलग साइज के पैकेट्स की खासी मांग है। लिहाजा पैकेजिंग इंडस्ट्री को भी बूम मिलेगा। इसका लाभ इनको तैयार करने वाले कारीगरों को भी मिलेगा। लोडिंग अनलोडिंग और ट्रांपोर्टेशन से मिलने वाला रोजगार अलग से। पैकेट बनाने वाले ,ट्रांपोर्टेशन और लोडिंग अनलोडिंग करने वाले किसी मजहब के हो सकते हैं। ऐसे में यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “सबका साथ, सबका विकास”, विजन के अनुरूप होगा।