भले ही परिस्थियाँ विपरीत हों, सब कुछ आपके मनमाफिक नहीं चल रहा हो लेकिन अगर हौसलें बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा मन मे हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। यह साबित कर दिखाया है गोरखपुर की संगीता ने। करीब 10 वर्ष पूर्व पति का आर्थिक रूप से सहयोग करने के उद्देश्य से गोरखपुर की संगीता ने जब कुछ करने की ठानी तो उनके लिए राहें आसान नहीं थी।
परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से संगीता ने कई जगह नौकरी के लिए प्रयास किया उन्हें नौकरी मिल भी गई, पर अब दिक्कत यह थी कि तीन छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर वह नौकरी पर कैसे जाएं। इसके लिए उन्होंने फिर कुछ ऐसा करने की सोचा जिसे घर से ही किया जा सके और जिसके साथ-साथ वह अपने बच्चों की देखभाल भी कर सकें। फिर संगीत के मन में यह आइडिया आया क्यों ना मिठाई के डिब्बे बनाने का काम शुरू करें, जो कि कम खर्चे में शुरू किया जा सकता है इसके लिए वह बाजार गई और डेढ़ हजार रुपए में कच्चा माल खरीद कर लाई।
एक दिन मे जब संगीता ने कुछ डब्बे बनाकर बेचे तो उन्हें इसके बदले में 80 रुपए मिले। यह उनकी पहली कमाई थी और यहां से उनका उत्साह बढ़ा। इन्होंने जो डेढ़ हजार रुपए में रॉ मैटेरियल खरीदा था सारे डब्बे बनाकर के एक हफ्ते में उन्होंने बेच डाले। संगीता को फिर और पैसों की जरूरत महसूस हुई तो शादी में मिले जेवरों को बैंक में रख कर उन्होंने गोल्ड लोन ले लिया और जब पैसा हाथ में आया तो उन्होंने डिब्बों में प्रयोग करना शुरू किया। संगीता छोटे,बड़े हर तरह के नए डिजाइन के डब्बे बनाने की कोशिश करती रहीं। संगीता ने अपने साथ-साथ और दूसरी महिलाओं को भी इस काम से जोड़ना शुरू किया। महिलाएं घर के कामकाज निपटाती और उसके बाद जो खाली समय बचता उसमें उन डिब्बों को बनाती। यहाँ पर काम करने वाली महिला खुशबू, रानी और प्रिया का कहना है कि आज उनके भी परिवार मे खुशहाली इन्ही डिब्बों की वजह से आई है।
हाथ में जब पैसे आने लगे तो महिलाओं का भी उत्साह बढ़ने लगा। संगीता अब सुंदर प्लेट, ड्राई फ्रूट्स के डिब्बे, डलिया आदि भी बनाने लगी हैं। संगीता के डिब्बों के खरीददार विजय और अनूप यह मानते हैं की इसके पहले जब बाजार मे वह अपने सामान को दूसरे डिब्बों मे बेचते थे तो लोग बहुत पसंद नहीं करते थे लेकिन अब संगीता के डिब्बों की वजह से उनके सामानों की सेल भी बढ़ गई है।
संगीता अब तक सैकड़ो महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं और एक महिला दिनभर में ढाई सौ से 300 रूपए तक कमा लेती हैं। आज संगीता ना सिर्फ गोरखपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश मे महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैं और इनसे प्रेरणा लेकर अब दूसरी महिलायें भी अपने परिवार को आर्थिक रूप से सबल बना रही हैं।
‘डिब्बा’ वाली संगीता दीदी
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