योगेंद्र त्रिपाठी, श्रावस्ती
पिछले कई महीनों से आम लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची का इंतजार कर रहे लोगों की आकांक्षाएं आज पूरी हो गई। दिल्ली में पंडित दीनदयाल मार्ग पर स्थित पार्टी मुख्यालय पर आज आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 195 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट में न केवल कई नाम ऐसे रहे जो बेहद चौंकाने वाले हैं। बल्कि कई नेताओं का टिकट भी काटा गया है। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से भी चौकानें वाला नाम सामने आया है। पूर्व आईपीएस अधिकारी, बैंकर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बेटे सकेत मिश्रा को भाजपा ने 58-लोकसभा क्षेत्र श्रावस्ती से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जबकि यहां से कई चेहरे मेहनत कर रहे थे और जिले के भीतर लोगों में इस बात की सुगबुगाहट थी कि किसी बाहरी नेता को इस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी घोषित नहीं किया जाएगा। सभी अटकलें पर विराम लगाते हुए भाजपा ने सकेत मिश्रा के नाम पर मुहर लगा दिया। वह देश के कई प्रतिष्ठित संस्थाओं से न केवल पढ़ाई कर चुके हैं। बल्कि उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी भी क्लियर कर रही है। इसमें उन्हें आईपीएस रैंक मिला था। साकेत मिश्रा, पूर्व आईएएस अधिकारी व राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में शुमार नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं। उनके नाना और मामा भी राजनीति से जुड़े रहे हैं। उनके नाना बदलू राम शुक्ला बहराइच लोकसभा क्षेत्र से न केवल सांसद रहे हैं। बल्कि वह एक बार विधायक रहे हैं। भाजपा ने साकेत मिश्रा पर दांव लगाकर ना केवल एक सीट पर काम किया है। बल्कि उन्हें बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित करने के ओर पार्टी ने एक कदम बढ़ाया है। तो आईए जानते हैं कौन हैं सकेत मिश्रा…
कौन हैं साकेत मिश्रा?
भाजपा से लोकसभा उम्मीदवार बने साकेत मिश्रा, प्रशासनिक अधिकारी की पृष्ठभूमि से राजनीति में आए हैं। उन्होंने UPSC क्लीयर किया। इसके बाद उनका मन बदल गया और उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में अपना बड़ा नाम बनाया। उन्होंने कई इंटरनेशनल बैंकों में काम किया है। साकेत मिश्रा का नाम इस कारण अधिक चर्चा में है, क्योंकि वे पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं। उनके लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान श्रावस्ती सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा चली थी, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्हें पूर्वांचल विकास बोर्ड का पहले सलाहकार फिर उपाध्यक्ष बनाया गया। फिर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप उन्हें विधान परिषद से सदस्य बनाकर यूपी के उच्च सदन में भेजा गया। अब उन्हें इस आम चुनाव में बीजेपी ने टिकट देकर यूपी की राजनीति में फिट कर रही है। यदि भाजपा की सरकार चुनाव संपन्न होने के बाद बनती है तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल किया जा सकता है।
आईआईएम ग्रेजुएट हैं साकेत
साकेत मिश्रा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकॉनोमिक्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद वे आईआईएम कलकत्ता पहुंचे। वहां से उन्होंने एमबीए किया। आईआईएम से पढ़ाई के बाद उन्होंने यूपीएससी की तरफ रुख किया। वर्ष 1994 के सिविल सर्विसेज परीक्षा में साकेत मिश्रा ने सफलता दर्ज की। वे आईपीएस बने। लेकिन, सिविल सर्विसेज उन्हें रास नहीं आई।
इंटरनेशनल बैंकों में किया काम
आईपीएस का पद छोड़ने के बाद साकेत मिश्रा ने इंटरनेशनल बैंकिंग सेक्टर की तरफ रुख किया। उन्होंने जर्मनी के ड्यूस बैंक में नौकरी शुरू की। 16 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई इंटरनेशनल बैंकों में काम किया। इस दौरान उन्होंने देश की कई डील्स को फाइनल करवाया। इसके बाद उनका रुझान समाज सेवा की तरफ हो गया।
देवरिया के रहने वाले हैं साकेत
साकेत मिश्र यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले हैं। उनका पैत्रिक गांव कसैली है। उनके पिता नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के आईएएस रहे हैं। साकेत मिश्रा का ननिहाल श्रावस्ती में है। साकेत के नामा पंडित बदलूराम शुक्ल बहराइच से 1971 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे। इसके साथ वह एक बार विधायक भी रहे हैं। उनके नाती साकेत मिश्रा ने विधान परिषद सदस्य बनने के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। अब उन्हें श्रावस्ती से लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने टिकट देकर बड़ा दांव खेला है।
वोट बैंक को साधने में होंगे कामयाब
साकेत मिश्रा भाजपा की ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की राजनीति का अहम हिस्सा है। वर्ष 2019 में श्रावस्ती सीट से लोकसभा टिकट की दावेदारी पेश कर चुके साकेत इस इलाके में काफी चर्चित रहे हैं। विधान परिषद सदस्य के रूप में करीब एक साल काम करने के उन्हें श्रावस्ती लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। श्रावस्ती से लेकर देवरिया तक उनका और उनके परिवार का दबदबा रहा है। ऐसे में पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को साधने में वे पार्टी के एक बड़े चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। भविष्य में मोदी और योगी सरकार उनके इंटरनेशनल बैंकों के तजुर्बे का भी इस्तेमाल कर सकती है। अब देखना होगा कि साकेत मिश्रा भविष्य में किस तरह की राजनीतिक राह पकड़ते हैं। लेकिन भाजपा संगठन द्वारा उन्हें टिकट मिलने के साथ ही तय हो गया है कि यदि वह चुनाव जीतते हैं और मोदी सरकार 3.0 बनती है तो वह सरकार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।